Department of Hindi
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हिंदी विभागः विहंगावलोकन
१९८६ में महाविद्यालय की स्थापना साथ ही हिंदी विभाग भी अस्तित्वा अस्तित्वा में आया l राज्य सर्कार के तहत जूनियर टीचर के रूप में कार्यरत डॉ. जयप्रकाश नारायण मिश्रा को शिक्षण की ज़िम्मेदारी दी गयी l आठ (८ ) छात्रों से शुरू हुवे इस विभाग की सेवा, वे १९९१ में प्राध्यापक पद पाने तक जूनियर टीचर के रूप में ही करते रहे l विभाग
के पहले प्राध्यापक, वर्तमान में कशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत डॉ. अवधेश नारायण मिश्रा, १९९८ में विभागीय सदस्य और पहले अध्यक्ष बने। अपनी स्थापना से आज तक दर्जन भर प्राध्यापकों /आचार्यों के निर्देशन में हिंदी विभाग उत्तरोत्तर उन्नति करता हुआ, आज राजीव गाँधी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों में
सर्वोच्च स्थान का गौरव भी इसी विभाग के नाम है। गत सत्रांत परीक्षा में भी विश्वविद्यालय येप रेन सूची में पांच (५)स्थान विभाग ने हासिल किए हैं।
वर्तमान चार सदस्यीय विभाग नारीशक्तिकरण का प्रामाणिक उदहारण हैं ,जहाँ चार में से तीन प्राध्यपिकाएँ हैं। इतना ही नहीं , अंतिम सत्र की कक्षा में भी ९६%से अधिकर छात्राएं रही हैं। विभाग की तीन प्राध्यापिकाओं में से दो इसी विभाग की पुरातन छात्राएं रही हैं। अरुणाचल प्रदेश में पहले हिंदी विश्वविद्यालयी शिक्षक तथा प्रोफेसर देने का गौरव भी इसी विभाग के नाम हैं। महाविद्यालय तथा तेज़ू में आयोजित कार्यक्रमों में रोज़ाना की बातचीत में हिंदी के अधिकाधिक प्रयोग में एक अंशदान विभाग का भी है। विभागीय संगोठियों के अलावा छात्र छात्राओं को देश दुनिया की साहित्यिक उपलब्धियों और गतिविधियों की यथासंभव जानकारी दी जाती है। विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. पद्मावती अङ्गोंग केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के तहत ‘हिंदी -सिंगफो डिक्शनरी ‘ तैयार करने के काम में लगी है। विभागीय सदस्य बीच -बीच में राष्ट्रीय संगोठियों, कार्यशालाओं में शामिल होते हैं। वर्तमान विभागीय प्रभारी डॉ. मधुसूदन शर्मा को हिंदी साहित्य सम्मलेन के इकहत्तरवें ईटानगर अधिवेशन ‘प्रतिष्ठित सम्मेलन’ राष्ट्रीय पुरास्कार से, राज्य में हिंदी के लिए की गयी सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।
हिन्दीविभाग निश्चय ही अपने उज्जवल भविष्य के साथ उच्चतम उपलब्धियां हासिल करने के सार्थक प्रयास निरंतर करता रहेगा।